ଇସରତ ଜାହାଁ ଏନକାଉଣ୍ଟର ମାମଲା:କ୍ରାଇମବ୍ରାଞ୍ଚର ୩ ଜଣ ଅଧିକାରୀ ଦୋଷମୁକ୍ତ
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बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन (IM) के आतंकी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस बताया। साथ ही आरिज पर 11 लाख का आर्थिक दंड भी लगाया।
इससे पहले अदालत ने आरिज की सजा पर फैसला शाम 4 बजे तक सुरक्षित रख लिया था। पुलिस ने अदालत से निरीक्षक मोहन चंद शर्मा की हत्या के मामले में आरिज खान को मौत की सजा देने का अनुरोध किया था। बीती सुनवाई में अदालत ने इस मामले में उसे दोषी करार दिया था। आरिज खान को दिल्ली पुलिस ने 2018 में गिरफ्तार किया था।
अदालत ने आरिज खान को आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 307 के तहत दोषी करार दिया है। 2008 में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर केस के बाद से ही आरिज फरार था और 2018 में नेपाल से गिरफ्तार किया गया। आतंकी आरिज खान को बाटला हाउस एनकाउंटर में जान गँवाने वाले इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की हत्या के लिए दोषी पाया गया है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पाँच आतंकी बाटला हाउस के एक फ्लैट में किराए पर मकान लेकर रह रहे हैं। 19 सितंबर 2008 की सुबह इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा आतंकियों को पकड़ने के लिए टीम लेकर बाटला हाउस में बिल्डिंग नंबर एल-18 के फ्लैट नंबर 108 में पहुँचे। उसी वक्त आतंकियों के साथ मुठभेड़ में उन्हें तीन गोलियाँ लग गईं। बाद में इलाज के दौरान उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इस दौरान दो आतंकियों को मार गिराया गया था।
साल 2008 में दिल्ली-जयपुर-अहमदाबाद और यूपी की अदालतों में जो धमाके हुए थे, उनके मुख्य साजिशकर्ताओं में आरिज का नाम था। इन सभी धमाकों में कुल 165 लोगों की जान गई थी, जबकि 535 लोग घायल हुए थे। धमाकों के बाद तब आरिज पर 15 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था और उसक खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस निकाला था।
बाटला हाउस वही एनकाउंटर है जिसको लेकर फरवरी 2012 में आजमगढ़ की एक रैली में कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था कि जब उन्होंने एनकाउंटर की तस्वीरें सोनिया गाँधी को दिखाई, तब उनकी आँखों में आँसू आ गए।
संदर्भ : OpIndia
दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जैसे हमले को दोहराने की साजिश को पुलिस ने नाकाम कर दिया है। इस बार आतंकियों की तैयारी पुलिस के सैन्य काफिले के अलावा म्युनिसिपल कमेटी पांपोर की इमारत को भी उड़ाने की थी।
गनीमत ये है कि ये आतंकी अपनी कोशिशों में कामयाब होते इससे पहले ही पुलिस ने सातों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से एक फिदायीन हमलावर भी है। पुलिस ने पकड़े गए आतंकियों के तार लश्कर और जैश से जुड़े बताए हैं।
आतंकियों के पास से 2 शक्तिशाली IED और वाहन बम के लिए तैयार की जा रही कार भी बरामद हुई है। IGP कश्मीर रेंज विजय कुमार ने पत्रकारों से इस विषय में बातचीत के दौरान बताया कि पुलवामा जिले के अवंतीपोर इलाके में सक्रिय लश्कर व जैश के जिन 7 आतंकियों को पकड़ा गया है। इनमें एक बीए के प्रथम वर्ष का छात्र है।
आईजीपी ने कहा कि उन्हें अपने सूत्रों से पता चला था कि पांपोर में जैश-ए-मोहम्मद ने कुछ नए लड़कों को भर्ती किया है, जो 14 फरवरी 2019 की तरह ही कोई बड़ा बम धमाका करने की साजिश की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस जानकारी के बाद उन्होंने संदिग्ध तत्वों के ऊपर निगरानी शुरु की और साहिल नजीर नामक एक युवक को पकड़ लिया। साहिल बीए प्रथम वर्ष का छात्र है जो पांपोर में रहता है। वह इंटरनेट के जरिए जिहादी तत्वों के संपर्क में आया और आतंकी संगठन का हिस्सा बना।
साहिल नजीर से पूछताछ के बाद 4 आतंकी और पकड़े गए। पुलिस ने उनके पास से कार JK0E-0690 बरामद की। अधिक पूछताछ में पता चला कि इस कार का इस्तेमाल वाहन बम के तौर पर किया जाना था।
बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद ने पंपोर से कुछ ही दूरी पर लिथपोरा में सीआरपीएफ के काफिले पर वाहन बम से 14 फरवरी 2019 को हमला किया था। हमले में 40 सीआरपीएफ कर्मी शहीद हो गए थे। आतंकी आदिल डार इसमें फिदायीन हमलावर था जिसके विस्फोट में बुरी तरह परखच्चे उड़ गए थे।
साहिल व उसके साथी उसी तरह के हमले को अंजाम देने की फिराक में थे। सख्ती से पूछताछ में साहिल ने सारी बातें उगली। इतना ही नहीं उसने ये भी बताया कि साजिश को अंजाम तक पहुँचाने में उसकी व उसके साथियों की मदद उत्तरी कश्मीर में सक्रिय आतंकियों का एक ओवरग्राऊंड वर्कर कर रहा था।
आईजीपी ने यह भी बताया कि पांपोर में एक मुसैब अहमद नाम का आतंकी भी पकड़ा गया है। ये लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। मुसैब ने पूछताछ में अपने घर में छिपा कर रखे 25 किलो अमोनियम पाउडर की जानकारी दी। पुलिस ने सूचना पाते ही फौरन इसे बरामद किया। इसी पाउडर का यूज आइईडी बनाने में होना था।
इसके बाद मुसैब ने जैसे ही बताया कि IED के लिए बाकी सामान उत्तरी कश्मीर से आने वाला था और उसे शाहिद सोफी नाम का आतंकी उसे लाता। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए सोफी को भी पकड़ लिया। जिसके बाद सोफी ने बताया कि वह एक शक्तिशाली विस्फोटक तैयार कर उसेे म्युनिसिपल कमेटी पांपोर की इमारत में लगाना चाहते थे।
बता दें कि जैश और लश्कर के पकड़े गए यह 7 आतंकी कुछ समय पहले ही आतंकवादी बने हैं। इनमें से कुछ कथित तौर पर अपने घरों में ही थे। आईजीपी ने तो बताया कि यह सभी इंटरनेट मीडिया के जरिए सरहद पार बैठे आतंकी सरगनाओं के साथ लगातार संपर्क में थे।
उन्होंने ये भी कहा कि आतंकी अब अपने हमलों को अंजाम देने के लिए अपनी रणनीति लगातार बदल रहे हैं। लेकिन सुरक्षाबल उनकी साजिशों से अवगत हैं। वह लगातार सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर उसे बेहतर बनाते हैं ताकि आतंकियों को किसी तरह का मौका न मिले।
गौरतलब है कि एक ओर पांपोर में पुलिस को यह सफलता मिली है। वहीं बारामुला जिले के सोपोर में मंगलवार को सुरक्षाबलों ने अल-बदर कमांडर गनई ख्वाजा को मार गिराने में सफलता पाई। इस संबंध में कश्मीर जोन के आईजी विजय कुमार ने बताया कि सोपोर पुलिस को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी।
इसके बाद पुलिस सेना और सीआरपीएफ ने इलाके की घेराबंदी की। जहाँ आतंकियों की ओर से फायरिंग शुरू हो गई। जवाबी कार्रवाई में गनई ख्वाजा मारा गया, जबकि उसके दो साथी मौके से भाग निकले। मारे गए आतंकी के पास से भारी मात्रा में हथियार व गोला बारूद बरामद हुआ है।
ख्वाजा के बारे में आईजीपी ने बताया कि वह साल 2000 में पाकिस्तान गया था। जहाँ से वह 2 साल बाद 2002 में वापस आया। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई। साल 2008 में वह आतंकी संगठन अल बदर में शामिल हो गया। पिछले कुछ महीनों में मारे गए आतंकियों को उसने पाकिस्तान के इशारे पर भर्ती किया था।